सत्संग, प्रवचन और अच्छी बातें हमारे मनरूपी खूंटे पर बार-बार प्रहार करती हैं तो हमारे नकारात्मक विचार खत्म होते

संत कबीर के कई ऐसे प्रेरक प्रसंग प्रचलित हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों की वजह से हमारी कई समस्याओं दूर हो सकती हैं। कबीर से जुड़े एक प्रसंग के अनुसार एक दिन क्षेत्र का एक लड़का संत कबीर के पास पहुंचा। लड़के ने संत कबीर से कहा कि गुरुजी, मैं पढ़ा-लिखा हूं और अपना अच्छा-बुरा समझता हूं, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे आपके प्रवचन सुनने भेजा है। आप ही बताइए मेरे जैसे समझदार इंसान को  सत्संग की क्या जरूरत है?


कबीरजी ने उस लड़के की पूरी बात सुनी। इसके बाद भी वे चुपचाप रहे। उन्होंने पास में रखी हथौड़ी उठाई और जमीन में गड़े एक खूंटे पर मार दी। ये देखकर लड़के को कुछ समझ नहीं आया, कुछ देर बाद वह वहां से चला गया।


अगले दिन वही लड़का कबीर के पास वापस आया और बोला कि मैंने कल एक प्रश्न पूछा था, आपने उसका उत्तर नहीं दिया था। कृपया आज मेरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए। कबीर ने फिर उसी खूंटे के ऊपर हथौड़ी मार दी, लेकिन कुछ बोले नहीं।


लड़के ने सोचा कि शायद इनका मौन व्रत है, इसी वजह से कुछ बोल नहीं रहे हैं। इसके बाद वह तीसरे दिन फिर आया और वही प्रश्न पूछा। इस बार भी कबीर ने उसी खूंटे पर हथौड़ी मार दी।


ये देखकर लड़के का धैर्य टूट गया। उसने कहा कि आप मेरे प्रश्न का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? मैं तीन दिन से एक ही बात आपसे पूछ रहा हूं। संत कबीर बोले कि मैं तो तुम्हें रोज जवाब दे रहा हूं। मैं इस खूंटे पर हथौड़ी मारकर जमीन में इसकी पकड़ मजबूत कर रहा हूं। अगर इस खूंटे की पकड़ कमजोर होगी तो इससे बंधे पशुओं की खींचतान से या ठोकर लगने से ये निकल जाएगा। ठीक इसी तरह का काम प्रवचन करते हैं।


सत्संग, प्रवचन और अच्छी बातें हमारे मनरूपी खूंटे पर बार-बार प्रहार करती हैं तो हमारे नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। सकारात्मक विचार बढ़ते हैं।