आज सुबह अलमारी खोली तो लगा अलमारी में रखा सारा सामान मेरा मुंह चिढ़ा रहा है और मुझसे कह रहा है "कितना परिग्रह किया है तुमने वस्तुओं का, रोज इन्हें देख देख कर इतराती थी ,आज कौन सा ड्रेस बाहर निकालूँ, साथ में मैचिंग गहने , ब्रांडेड पर्स, बटुए ,घड़ी ,चश्मे, गॉगल्स ,जूते ,चप्पल और न जाने क्या-क्या और मेकअप से भरी अलमारी तो ठठा कर हंस पड़ी ,कहां है मेरी जरूरत? पिछले 1 महीने से मेरे बिना भी तो काम चल रहा है, इस सादगी में भी तो सुंदर और आकर्षक लग रही हो .उनकी बात सुनकर मुझको लगा यह अलमारियां सच ही तो कह रही हैं ,कितना कुछ हम इकट्ठा करते हैं, एक दूसरे से होड़ करते हैं ,ठूंस ठूंस कर सामान भरते हैं, क्या इससे आधे में काम नहीं चल सकता ?
सच कहूं तो आधे से भी कम में चल सकता है .आज अरबों, करोड़ों, लाखों ,हजारों वाले सभी एक धरातल पर खड़े हो गए हैं, सभी घरों में लॉक डाउन हो गए हैं, एक पल में ही सब कुछ बदल जाता है हम सब कितनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं ,ऊंच-नीच का भेदभाव करते हैं, अमीरी गरीबी का फर्क करते हैं, अपनी उपलब्धियों पर ,सम्मान पर, इतराते हैं ,अभिमान करने लगते हैं, स्वयं को राजा समझने लगते हैं ,एक वायरस ने सबको धरती से जोड़ दिया ,सभी समान हो गए ,इससे हमें भी यही शिक्षा लेनी चाहिए कि जब अच्छे दिन आएंगे, हम सब सहज जीवन जीये ,खुद को ईश्वर न समझ कर उसका एक नेक भक्त समझे , अपने ह्रदय में एक अदद मानवता बनाए रखें .यह भी सच हैं कि हम एकदम से त्यागी नहीं बनेंगे, हम संजेगें संवरेंगे ,बाहर भी जाएंगे, अच्छी वस्तुओं का उपयोग भी करेंगे, लेकिन जरूरत से ज्यादा चीजों का संग्रह न करने की एक छोटी सी कोशिश तो कर सकते हैं, चार नई चीजें लेंगें तो ,चार निकालकर किसी जरूरतमंद को दे देंगें. धरती से जुड़कर, धरती वालों के लिए कोई नेक कार्य जरूर करेंगे, प्रभु महावीर के सिद्धांतों को जीवन में जरूर अपनाएंगे. .